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नमस्कार !

मनुष्य , शोध और प्रगति मनुष्य के विकास और प्रगति के लिए शोध एक अनिवार्य प्रक्रिया है। जन्मकाल से लेकर आज तक , वह विभिन्न क्षेत्रों में शोध करता आया है और भविष्य में भी करता रहेगा। शोध न केवल ज्ञान-विस्तार का साधन है , बल्कि यह मानव जीवन के सतत विकास का प्रमाण भी है। शोध की बदौलत ही आज मनुष्य ने ब्रह्माण्ड को नापने की क्षमता प्राप्त की है। यदि वह शोध नहीं करेगा , तो उसकी प्रगति रुक जाएगी , क्योंकि मनुष्य स्वभाव से प्रगतिशील और संवेदनशील प्राणी है। अपने सर्वांगीण विकास के लिए शोध करना उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है। शोध के माध्यम से मनुष्य ने विज्ञान , चिकित्सा , प्रौद्योगिकी , समाजशास्त्र , भाषा एवं साहित्य जैसे अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। किसी भी समाज की उन्नति उसकी शोध प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। जब मनुष्य नए विचारों , सिद्धांतों और तथ्यों की खोज करता है , तो यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए भी लाभदायक होता है। आधुनिक युग में , कृत्रिम बुद्धिमत्ता , जैव प्रौद्योगिकी , अंतरिक्ष अनुसंधान और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर हो ...
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Issue-39 January-March -2025

Department of Commerce, Yeshwant college, Nanded special Issue-Feb.2025

Department of Hindi, Yeshwant college, Nanded IKS special Issue-Feb.2025

Thrissur special Issue

Issue-38 October -December -2024

Issue-37 July-September-2024

Issue-36 April-June,2024

विशेषांक

Issue-35 January-March,2024